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स्वर्ण-युग की दुनिया में जाते हुए धनवान बने
(ध्यान टिप्पणियों सहित)

Grow Rich while Walking into the Golden Aged World (with Meditation Commentaries)



उपरोक्त इ-बुक/बुक की विषय-सूचि और उसका विवरण निचे दिया गया है.

The Table of Contents and description (in Hindi) of the book/eBook can be found below.


 
मुल लेखिका (अंग्रेजी भाषा)​ :

(Written in English by)

ब्रह्मा कुमारी परी

Brahma Kumari Pari 

लेखिका के बारे में/ About the Author 



हिंदी भाषा अनुवादक :

(Translated into Hindi by)

डॉ. राजेश ना. सोनकुसरे
M.A.,NET, PhD(English), MBA (Marketing), ADSE

​सहाय्यक अधिव्याख्याता (इंग्लिश)
आर्ट्स और कॉमर्स महविद्यालय
भिसी, तालुका-चिमूर
जिला. चंद्रपूर (महाराष्ट्र)

अनुवादक के बारे में/ About the translator



“स्वर्ण-युग की दुनिया में जाते हुए धनवानबने (ध्यान टिप्पणियों सहित)” इस ई-बुक को यहाँ से खरीदा जा सकता है:
The eBook titled "Grow Rich while Walking into the Golden Aged World (with Meditation Commentaries)" can be purchased at:
 
1.Apple:

 https://books.apple.com/us/book/id1534778320


2. Kobo:

https://www.kobo.com/my/en/ebook/pxkxo3XQ9jC9exqSwcgiRA


3. Google Play


 


“स्वर्ण-युग की दुनिया में जाते हुए धनवानबने (ध्यान टिप्पणियों सहित)” इसकी पुस्तक प्रती (प्रिंटेड वर्जन) को यहाँ से खरीदा जा सकता है: 

The printed book titled "Grow Rich while Walking into the Golden Aged World (with Meditation Commentaries)" can be purchased at:




इस ग्रंथ में सूचित किए गई क्रिया आपके आध्यात्मिक विकास, वित्तीय और निर्वाह दशा सुधारने हेतू सहायता करता हैं! 

इस ग्रंथ में, आप वित्तीय या आध्यात्मिक स्तर पर धनवान कैसे बने, और स्वर्णिम युग (होलोग्राफिक विश्व के माध्यम से) में चलते हुए आपकी इच्छाको पूर्ण करता हैं|   हमारे जीवन के लक्ष्य को साध्य करने हेतू ईश्वर और उनके ज्ञान का किस पद्धती से उपयोग करना हैं, इसे प्रस्तुत ग्रंथ में स्पस्ष्ट किया हैं:

1. जो चमत्कारी शक्तीयॉं (सिद्धी) और विशेषताए आपको चाहिये वह इस ग्रंथ में दिए गई हैं|

2. आकर्षण का सिद्धांत धन और खुशिया क्यो लाता हैं ई.|

3. विज़ुअलाइज़ेशन क्यों और कैसे भौतिक हो सकते हैं|

4. उच्च आयाम के करीब जाना, जहां आकाशिक रिकॉर्ड मौजूद हैं, वह आपको अपने सपनों को आसानी से महसूस करने में मदद करेगा।

5. आपको जो चाहिये वह प्राप्त करने हेतू अआप्न ब्रह्मलोक से किस प्रकार से निर्माता (ब्रह्मा) की भूमिका अदा कर सकते हैं|

6. जब आप ब्रह्मा की दुनिया में होते हैं, तो ईथर ब्रह्मा की भूमिका भी निभाते हैं और आपको जो इच्छित हैं वह बना सकते है।

7. आप आपके आत्मा के भीतर गहरी ऊर्जा का उपयोग कैसे करते हैं, आप स्वयं ब्रह्म हैं और इसलिए आप अपनी इच्छाओं और जरूरतों को पूरा करने में सक्षम होंगे।

8. सामग्री को फ्रिक्वेन्सी (आवृत्ती) और अनुनाद (रेझोनन्स) के जरीए कैसे उपयोग में लाया जाता हैं|

9. अब, धन, समृद्धि और चमत्कारी क्षमताओं को पुनः प्राप्त करने के बारे में

10. स्वर्णिम युग में रहने वाले और स्वर्णिम युग में चलनेवाले अभिभावक को क्वाँटम उर्जा, वैश्विक नाटक, प्रकृति किस प्रकार सहायता करती हैं|

11. स्वर्णिम युग मी चलने कें लिए परिपूर्ण शरीर (परफेक्ट बॉडी) का निर्माण कैसे होता हैं|

12. धरती और संसार किस प्रकार से उच्चतम ब्रह्मांड में, आपको स्वर्णिम युग में चलने कें लिए उत्थान किए जाते हैं| 13. विश्व और संसार/लोकाज जिसने हमे वातावरण प्रदान किया हैं, उसके विषय में 14. उच्चतम लोकाज को उपयोग में लाकर आपको आपकी इच्छा पूर्ण करने मे आसानी क्यो होती हैं|

15. कुछ लोगों को समुद्री राक्षस जीव जैसे- लोच नेस राक्षस या चँप क्यो दिखाई देते थे|

16. धरती गर्भोदक सागर में कैसे डूब गई थी, अब उसका उत्थान कैसे हुआ|

17. अपने विश्व का प्रसार क्यो हो रहा हैं|

18. ब्रह्मांडीय चेतना, विश्व-व्यापी सामूहिक चेतना और विभिन्न प्रकार की चेतना के बारे में जो हम उपयोग करते हैं उस विषय में।

19. ब्रह्मज्योति, वैकुंठ और अन्य विभिन्न लोकों के बारे में।

20. पृथ्वी सपाट हो या गोल, उस विषय में।

21. प्राचीन हिंदू भुमंडला मॉडल के बारे में।

22. होलोग्राफिक यूनिवर्स, चक्रों, आभा, कुंडलिनी, कोशल महासागर (कैराना महासागर), आध्यात्मिक आकाश (पराव्योमा), होलोग्राफिक निकायों आदि के बारे में।

23. ‘ब्रह्मा कुमारीज’ के सात दिनों के अध्ययन प्रशिक्षण में साझा किया हुआ ज्ञान| ब्रह्मा कुमारीज का ज्ञान, वाचक किस प्रकार से उपयोग में ला सकता हैं यह इस ग्रंथ मे दिया गया हैं, स्वर्णिम युग में चलने के लिए प्रारंभ करना और चलते रहने का ज्ञान इस ग्रंथ में दिया गया हैं|

यदि आपकी धनवान होने कि या आपको कुछ पाने इच्छा हैं, आपको आध्यात्मिक स्तर पर प्रबल होना हैं या स्वर्णिम युग मी चलना हैं, तो यह ग्रंथ अवश्य पढें|



“स्वर्ण-युग की दुनिया में जाते हुए धनवान बने (ध्यान टिप्पणियों सहित)” इस ई-बुक का चित्र क्रमांक १

Figure 1 in the eBook/book ​titled "Grow Rich while Walking into the Golden Aged World (with Meditation Commentaries)"

“स्वर्ण-युग की दुनिया में जाते हुए धनवान बने (ध्यान टिप्पणियों सहित)” इस ई-बुक का चित्र क्रमांक २

Figure 2 in the eBook/book ​titled "Grow Rich while Walking into the Golden Aged World (with Meditation Commentaries)"

“स्वर्ण-युग की दुनिया में जाते हुए धनवान बने (ध्यान टिप्पणियों सहित)” इस ई-बुक का चित्र क्रमांक ३
Figure 3 in the eBook/book ​titled "Grow Rich while Walking into the Golden Aged World (with Meditation Commentaries)"

“स्वर्ण-युग की दुनिया में जाते हुए धनवान बने (ध्यान टिप्पणियों सहित)” इस ई-बुक का चित्र क्रमांक ४
Figure 4 in the eBook/book ​titled "Grow Rich while Walking into the Golden Aged World (with Meditation Commentaries)"

इस पुस्तक के अध्यायोंकी की रूपरेखा/ विवरण (अंग्रेजी मे) पाने के लिये निम्नलिखित लिंक को दबाएं: http://www.gbk-books.com/book-2.html
The outline / description of the chapters (in English) of this book can be found at: http://www.gbk-books.com/book-2.html
 

“स्वर्ण-युग की दुनिया में जाते हुए धनवान बने (ध्यान टिप्पणियों सहित)” पुस्तक प्रती (प्रिंटेड वर्जन) के कवर पृष्ठ/पेज और बैक कवर पृष्ठ/ पेज

The cover and back cover of the printed book titled "Grow Rich while Walking into the Golden Aged World (with Meditation Commentaries)".




विषय सूची

लेखिका के बारे में

अध्याय १  : परिचय

अध्याय २  : ब्रह्मा कुमारियों के सात दिवसीय पाठ्यक्रम का परिचय

अध्याय ३  :
आत्मा (बीके सात दिवसीय पाठ्यक्रम का पहला दिन)

अध्याय ४  :
ईश्वर (बीके सात दिवसीय पाठ्यक्रम का दूसरा दिन)

अध्याय ५  :
तीन संसार (बीके सात दिवसीय पाठ्यक्रम का दूसरा दिन)

अध्याय ६  :
काल-चक्र, स्वस्तिक,और विश्व घटनाचक्र (बीके सात दिवसीय पाठ्यक्रम का तीसरा दिन)

अध्याय ७  :
विश्व वृक्ष (बीके सात दिवसीय पाठ्यक्रम का चौथा दिन)

अध्याय ८  :
विश्व सीढ़ी (बीके सात दिवसीय पाठ्यक्रम का पांचवा दिन)

अध्याय ९  : कर्म का कानून (बीके सात दिवसीय पाठ्यक्रम का छठा दिन)

अध्याय १० :
आत्मा की शक्तियाँ एवं दूसरी मूल विशेषताएँ (बीके सात दिवसीय पाठ्यक्रम का सातवां दिन)

अध्याय ११ : शांति

अध्याय १२ : साकार मुरली

अध्याय १३ : अव्यक्त मुरली

अध्याय १४ : होलोग्राफ़िक ब्रह्मांड की बनावट

अध्याय १५ : ब्रह्मांड के भीतर का उच्च ब्रह्मांड एवं निचला ब्रह्मांड

अध्याय १६ : प्रकाश और अंधकार

अध्याय १७ : अशुद्ध क्यू.ई. प्रकाश के साथ मेरे अनुभव

अध्याय १८ : क्यू.ई. प्रकाश मन और ईथर

अध्याय १९ : निचला स्वयं, उच्च स्वयं, गहरा स्वयं, दैवीय स्वयं और देवता-स्वयं

अध्याय २० : चक्र (उनके द्वारा प्रदान की जाने वाली विशेषताओं एवं सिद्धियों सहित)

अध्याय २१ : आभा क्षेत्र

अध्याय २२ : श्वेत छिद्र और काल छिद्र

अध्याय २३ : विश्व नाटक के माध्यम से प्रकटीकरण

अध्याय २४ : क्यू.ई. प्रकाश एवं क्वांटम ऊर्जाएं आत्माओं को अपनी सेवाएं प्रदान करती हैं

अध्याय २५ : कुंडलिनी

अध्याय २६ : ब्रह्मांडीय चेतना एवं सामूहिक विश्वव्यापी चेतना

अध्याय २७ : कांपनिक आवृत्तियाँ

अध्याय २८ : आकर्षण का कानून

अध्याय २९ : प्रचुरता की आवृत्तियाँ

अध्याय ३० : प्रतिरोध और बाधाएँ

अध्याय ३१ : लोक (विश्व / आयाम)

अध्याय ३२ : स्वर्ग-लोक और इंद्र-लोक

अध्याय ३३ : महर्लोक, जनलोक और तपोलोक

अध्याय ३४ : ब्रह्मलोक

अध्याय ३५ : लोक में विशेषताओं और सिद्धियों का उपयोग

अध्याय ३६ : वैकुण्ठ

अध्याय ३७ : ब्रह्मज्योति

अध्याय ३८ : संगम युग का प्राण

अध्याय ३९ : सूर्य वंश और चंद्र वंश

अध्याय ४० : मध्य-संगम युग के लोक

अध्याय ४१ : मध्य-संगम युग का वैकुण्ठ

अध्याय ४२ : चलकर जाने की प्रक्रिया के दौरान सात चक्रों/लोकों का उपयोग

अध्याय ४३ : चलकर जाने वालों के लिए क्यू.ई. प्रकाश शरीर और उनके आभा क्षेत्र

अध्याय ४४ : स्वर्ण-युग का वैकुण्ठ, ब्रह्मलोक, सत्यलोक और द्वारका

अध्याय ४५ : उत्थान

अध्याय ४६ : संगम-युग में चक्रों, आभा क्षेत्र और होलोग्राफ़िक शरीर का उपयोग

अध्याय ४७ : स्वर्ण-युग में चलकर जाते हुए उच्च लोकों का उपयोग

अध्याय ४८ : निचले ब्रह्माण्ड में उपयोग होने वाले लोक

अध्याय ४९ : कारण महासागर

अध्याय ५० : आध्यात्मिक आकाश (परव्योम) और उसके लोक

अध्याय ५१ : ईश्वर स्वर्ण-युग में जाने वालों की सहायता एवं मार्गदर्शन करते हैं

अध्याय ५२ : ध्यान अभ्यास

अध्याय ५३ : स्वर्ण-युग में प्रकृति अपनी सेवाएं प्रदान करती हैं

रेखा-चित्र १

रेखा-चित्र २

रेखा-चित्र ३

रेखा-चित्र ४ब्रह्मा कुमारी परी द्वारा लिखी अन्य पुस्तकें





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